लीला पुरुषोत्तम श्रीकृष्ण का परिचय देना सूर्य को दीपक दिखाना है | कोटि-कोटि हिन्दुओं की दृस्टि में तो वे अनादि-अजन्मा ईश्वर ही है | उन्होनें द्वापर के अंत में पूर्णावतार ग्रहण किया और जब उनका उद्देश्य पूरा हो गया, तब वे अपने दिव्य, चिन्मय एवं अविनाशी विग्रह से गोलोक पधार गए |